एक बार एक अंग्रेज अपनी विलायती गाड़ी में हरियाणा में आया और हरियाणा के कच्चे पक्के रास्तों में चलने से उसकी गाड़ी खराब हो गई। उसने किसी तरह एक मिस्त्री को ढूँढ़ लिया।
पर मिस्त्री बोल्या - सॉब ये तो विलायती गाड़ी है, इसका जो पुर्जा खराब हो ग्या है वो तो आड़य मिले कोन्या पर चलो एक जुगाड़ कर देता हूँ।
मिस्त्री ने मारुती 800 की एक तार निकाली और कर दि फिट, और बोल्या लो सॉब जुगाड़ होग्या।
फिर अंग्रेज अपनी गाड़ी स्टाट कर चल दिया। लेकिन ...
कुछ दुर ही ग्या था कि गाड़ी फिर खराब हो गई। अबकी बार जो मिस्त्री मिला वो भी वही बोल्या कि सॉब कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा, और फर्राटे की पंखड़ी निकाली और लगा दी।
इस तरह अंग्रेज को 4-5 बार जुगाड़ कराना पड़ग्या।
थोड़ी देर बाद अंग्रेज को प्यास लग आयी, तो उसे कुँए पर पानी भरती एक औरत दिखाई दी, उसने सोचा चलो यहीं थोड़ा पानी पिया जाए, और पहुंच ग्या कुँए के पास....
और औरत को बोल्या - हाँ जी, कुछ जुगाड़ हो ज्यागा के।
औरत बोली - आजा मेरे भतीज तेरा जुगाड़ कर दूँ, और लेके जुती उसका तोड़ बिठ्या दिया।
फेर अंग्रेज बोल्या, यार हरियाणा के अच्छे आदमी हैं, जब उनका जी करे, तो जुगाड़ कर ले हैँ और अगर दुसरे का जी कर ज्या तो जुत्तियाँ त्य खाल तैर दें हैँ।
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1 टिप्पणी:
अब उसे क्या पता कि जुगाड़ तो आखिर जुगाड़ ही होता है, उसकी कोई थ्योरी तो होवै कोन्या :)
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